आशिक़ी
आशिक़ी
दिलकश मौसिक़ी के लिए ज़रूरी है दिलचस्प साज़,
ज़िंदादिल आशिक़ी के लिए ज़रूरी है जज़्बाती अंदाज़,
अपने इश्क़ को इज़हार करने के लिए ज़रूरी हैं प्यारे
अल्फाज़,
इकरार-ए-मोहब्बत के लिए ज़रूरी है माशूका का
ख़ुशगवार मिजाज़ ।१।
जब सनम करे उल्फ़त भरे ख़त पर नाज़,
तभी होगा प्यार के सुहाने दौर का आग़ाज़,
तभी सुनाई देंगे रोमानी तरानों की आवाज़,
और तभी बनेंगे एक दूसरे के हमराज़ हमनवाज़ ।२।

