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Amit Kumar

Abstract Drama Inspirational

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Amit Kumar

Abstract Drama Inspirational

प्राथमिकता

प्राथमिकता

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आओ इस बात पर 

अपनी समझ एकाकार कर ले

जिनके भी सज़दे में

हमने सर झुकाया है

एक बार फिर उनका ऐहतराम कर ले


यह मंदिर-मस्ज़िद-गुरुद्वारा-गिरजाघर आदि

जहां ईश्वर के होने को

अक़्सर प्राथमिकता दी जाती है

उन सभी जगह से खुदको

ज़रा सा दरकिनार कर ले


जहां इंसान का अस्तित्व

मायने नही रखता वहां

ईश्वर का वास कैसे हो सकता है

इस बात पर पुनः

एक बार कुछ सोच-विचार कर ले

जिन्होंने नोट दिए है

वोट उन्हीं को देने वालों


खुद अपनी इस दयनीय दशा का

अब तक एक सूत्रपात कर ले

नया कुछ कर सकते तो

पुराना यूँ सर पर न चढ़ता

न रस्में न कसमें न आडम्बर

न यह दिगम्बर न यह पैग़म्बर


सब अपने आप ही अपने

अहद की लहद में

धंस चुके होते और

आपको भी कुछ सुकूँ

यहां बारम्बार मिलता.....

चलो क़िताब को ख़िताब न समझने वालों

अक्षर ज्ञान की महिमा का खंडन

अब बन्द कर दो


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नहीं महिमा तो भगवान की रहेगी

मग़र उस महिमा का वंदन करने वाला

इंसान ही संसार से छूमंतर हो चलेगा

जिस देश धरा पर सब 

आधुनिक बने हुए है

मशीनयुग और डिजिटल इंडिया का

दम भरते है उनसे ज़रा पूछो


भूख मिटा सकें वो

लूट मिटा सकें वो

झूठ मिटा सकें वो

या यह कहे वो

ठसाठस की यह 

ठूंस मिटा सकें वो

अरे इसको भी जाने दो


भीख की सीख को

जन-जन से हटा सके वो

आज भी बच्चें सड़को पर

भूखे-नंगे सरपट दौड़ते है

उस मसीहा की तलाश में 

जो जाने कितने युगों से

उनके लिए जात-पात

दया-धर्म के पलड़ों को


हटाकर एकता मानवता और

प्रेममयी भाईचारे का उनके

जीवन मे संचार करने के लिए

आ रहा है लेकिन यह पूंजीपति

उसको अपनी तिजोरियों से

बाहर आने ही नहीं देते


अब तो बच्चा-बच्चा भी जान गया

इस प्रतीकात्मक सत्य के अंधकूप को

बाप बड़ा न भैया

सबसे बड़ा....


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