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Goldi Mishra

Drama Romance

4  

Goldi Mishra

Drama Romance

आईना

आईना

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सवाल भीतर थे,

जवाब हम बहार खोज रहे थे।

कुछ किस्से काग़ज़ पर आज भी अधूरे थे,

उनके अंत ना जाने कहां गुम थे।


ज़िंदगी के रास्ते तो वहीं थे,

पर उन पर चलने के अंदाज़ सबके अलग थे।

ना जाने इस भीड़ में क्या तलाश रहे थे,

ना जाने किसकी आस में भटक रहे थे।


हर गीत भूल खुद को सुनने की कोशिश कर रहे थे,

एक अजीब सा राग आज अपनी सांसों में सुन रहे थे।

बिन बसंत ना जाने क्यों गुलशन में फूल महक रहे थे,

ये पंछी भी ना जाने क्या गुफ्तगू कर रहे थे।


खत पाकर किसी का पैर आज बेवजह ही झूम रहे थे,

खत को बार बार हम अपने सीन

े से लगा रहे थे।

बिन पंख आज हम आसमान की उड़ान भर रहे थे,

पढ़ कर उनका खत नम थीं आंखे पर होंठ मुस्कुरा रहे थे,


क्या लिखे जवाब में बस इसी सोच में हम डूबे थे,

आज अल्फ़ाज़ काग़ज़ पर उतरने को तैयार ही ना थे।

हम सारी रात एक कश्मकश में डूबे थे,

क्या उतारे काग़ज़ पर बस इसी सोच में डूबे थे।


ये सितम भी अजीब थे,

ये बेताबी ये एहसास भी अजीब थे ।

बे रंग से पानी में हमें हज़ारों रंग दिख रहे थे,

आईने से अपने जज्बात आज हम कह रहे थे।


लिख लिया जो खत अब भेजने से डर रहे थे,

बातें जो कहनी है तुम्हें उन्हें कहने से डर रहे थे।


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