बस बहुत हुआ अब जाने दो
बस बहुत हुआ अब जाने दो


बस बहुत हुआ अब जाने दो, सांस जरा तो आने दो
घुटन भरे इस कमरे मे, जरा धूप तो छट कर आने दो
बस बहुत हुआ आब जाने दो
बहुत सुनी कटाक्ष तेरी, बात बात पर दुत्का र तेरी
शुल के जैसे बोल तेरे, चुन चुन कर मुझे हटाने दो
खामोशी मे है प्या र मेरा, ना मुझपर कुछ उपकार तेरा
मुझको जो गरजू समझा है, उस भरम को अब मीट जाने दो
बस बहुत हुआ अब जाने दो
तूने जो बोला मान लिया, देर लगी पर जान लिया
सदा पास रही पर साथ नहीं, अब झूठे बंधन टूट जाने दो
मेरे अपनों को कोसा है, जीभ से दि ल को नोंचा है
मेरे जज़्बातों का जो मोल नहीं, तो ये धागा अब टूट जाने दो
बस बहुत हुआ अब जाने दो
तूने सोचा ये मेला है, शादी दो दि न का खेला है
वर्षों में भी मुझे अपना न सकी तो घर की ईंटे ढह जाने दो
ना सोचा था ये दि न आएगा, जीवन ये भी दि खलाएगा
आदर मेरे दि ल मे जो है, घि न्न उसमे न मि ल जाने दो
बस बहुत हुआ अब जाने दो
सोचा था साथ नि भा लूँगा , कड़वा घूंट है पी लूँगा
तूने शब्दो के चोट से जो घाव दिए सब वापस लो
बहुत सहा न समझा ये,
अब तुझको नज़रों से पटका ले
अब पहले जैसा अपनापन न मिल पाएगा जाने दो
बस बहुत हुआ अब जाने दो
हर तंज़ सहे अपमान सहा, ना मेरा अपना सम्मान रहा
तुझको सम्हाले रखने मे जो भी खोया वो वापस दो
पहले दिन से ही साफ रहा, तेरी मंजिल कोई और रहा
सब सबकुछ अपना खो बैठा, तू बोल उठी अब जाने दो
बस बहुत हुआ अब जाने दो
एक अरसे से मैं जूझ रहा, अंदर जैसे सब टूट रहा
डर है मैं खुद को खो दूंगा, तुम गैर मुझे हो जाने दो
सहने की कोई सीमा हो, दर्द तो थोड़ा धीमा हो
अब सब्र जो मेरा फूटा है, सारा लावा बह जाने दो
बस बहुत हुआ अब जाने दो
और जो कुछ दि न संग रहा, थोड़ा भी तेरा रंग रहा
जा ने फिर मैं क्या कर जाऊँ, मुझमे इंसान तो रहने दो
प्यार बहुत मैं करता था, तुझसे नफरत न हो पाएगी,
जहर न घोलो मेरे मन मे, प्यार ही मन मे रहने दो
बस बहुत हुआ आब जाने दो
अलग है अपनी राह सही, तू और कहीं मैं और कहीं
घर भी अब घर रहा नहीं, मकान तो रह जाने दो
चल साथ मे दोनों कहते है, अब साथ नहीं रह सकते है
दिल से निकल जाए हम तुम, और द्वार बंद हो जाने दो
बस बहुत हुआ अब जाने दो।