STORYMIRROR

Mamta Singh Devaa

Tragedy Inspirational

4  

Mamta Singh Devaa

Tragedy Inspirational

आशा + निराशा = कोविड 19 - 2021

आशा + निराशा = कोविड 19 - 2021

3 mins
929

कोविड 19 का पहला चरण जा चुका था अपने आसपास, जान पहचान के लोग सुरक्षित थे लेकिन कितनों के अपनोंं से कोविड 19 उनकी जिंदगी छीन चुका था। लोग बेफिक्र हो चुके थे हम सबकी लापरवाही से कोविड 19 के दूसरे दौर ने अचानक तेजी से अपना प्रकोप फैलाया, 23 अप्रैल को सीमा की बड़ी दीदी ( आजमगढ़ में रहती है ) का फोन आया की जीजा जी ( खुद भी डाक्टर हैं ) पॉज़ीटिव हैं, लक्षण खांसी के हैं। अगले दिन बताया की बुखार भी आ गया है दवाईयां शुरु हो गई हैं....सुबह हमेशा की तरह योग कर रहे हैं ( जीजा जी पिछले कई सालों से नियमित योग करते हैं ), शाम होते होते उनकी खाँसी बढ़ गई ( डाइबिटिक और हार्ट पेशेंट दोनों हैं ) रात में सिटी स्कैन हुआ सब ठीक था लेकिन तब तक शहर के डाक्टर लोगों को खबर लग गई और रातों रात जीजा जी को हॉस्पिटल में एडमिट कर दिया गया।

अगले दिन उनका कमरा सेनेटाईज़ किया गया उसके अगले दिन कोरोना टेस्टिंग के लिए पूरी टीम आ गई ( उस एरिया के प्रधान ने भेजा ) अम्माँ, दीदी और दीदी का कुक ( दीदी के घर मे ही रहता है ) सबका सेम्पल लिया गया, रिपोर्ट आने पर सीमा की अम्माँ ( उम्र 86 ) पॉज़ीटिव निकलीं.... सीमा की दीदी जो जीजा के पॉज़ीटिव होने पर जितनी परेशानी नही परेशान हुई थी वो अम्माँ के पॉज़ीटिव होने से इतनी परेशान हो गई की उसकों बॉडी पेन होने लगा। अम्माँ कोरोंटाइन कर दी गईं हल्का बुखार था दवाइयां शुरू हो गईं, सीमा के सब बहनें और भाई परेशान हो गये अभी तो जीजा जी ही पॉज़ीटिव थे अब अम्माँ भी हो गईं.... इधर दीदी घर में अकेली, बिटिया त्रिवेंद्रम से बनारस मामा को लेते हुये आजमगढ़ पहुँच गई रात हो रही थी लेकिन बिटिया तो बिटिया ठहरी ( कलकत्ता से हॉस्पिटल मैनेजमेंट करके त्रिवेंद्रम के एक हॉस्पिटल में जॉब करती है ) पी पी ई किट पहन कर पापा के पास जा पहुँचीं, ICU की हालत खराब थी ( कोरोना के डर से स्टाफ भी कम थे ) पापा को स्पंज किया कपड़े बदले, बेटी को सामने देख डिप्रेशन में जा रहे पिता को बहुत बड़ा सहारा मिल गया था।

अगले दिन स्पेशल वॉर्ड में आ गये और उसके अगले दिन घर, घर पर ऑक्सीजन कंसंट्रेटर था लेकिन उसकी जरूरत ही नही पड़ी, नदी के किनारे पेड़ों के बीच में जीजा जी का घर, कमरों की खिड़कियों को खोल कर रखा गया, इस बीच एक बुरी खबर से सीमा और उसका पूरा परिवार बुरी तरह टूट गया दिल्ली में उसकी जिठानी ( सीमा से आठ महीने बड़ी थीं ) कोरोना से जंग हार गईं, अपने परिवार और सबको जीवन भर का दर्द दे गईं। इधर सीमा की अम्माँ को बुखार आना बंद हो गया दवाइयों का कोर्स पूरा हो गया था, भाई, दीदी और भांजी ने मिल कर दोनों लोगों की बहुत सेवा की। सीमा और उससे बड़ी बहन ( जिनेवा - स्विट्जरलैंड में रहती है ) वीडियो कॉल से बात करते रहते थे जिससे अम्माँ को बंद कमरे का एहसास ना हो। बुरा समय बीत गया अम्माँ और जीजा जी अपनों की सेवा और अपने संकल्प शक्ति से कोरोना को मात देकर स्वस्थ हो गये थे। भगवान से यही प्रार्थना है की वो सबकी रक्षा करें और हम सब भी मास्क, हाथ की सफाई और दो गज की दूरी पर बहुत ध्यान दें तथा वेक्सीन ज़रूर लगवायें, इस महामारी से यही सब हमें बचा सकते था। समय बहुत बुरा था सबको हिम्मत और धैर्य से काम लेना था।

आशा - निराशा का दौर बस हिम्मत ही सिरमौर।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy