आप पास या फेल?
आप पास या फेल?
आजकल का यह बड़ा ही प्रसिद्ध खेल है,
कोई होता पास तो कोई होता फेल हैं।
इस खेल का नाम तो सभी ने सुना होगा,
आज की पीढ़ी में ये काफी मशहूर है।
खेलने में लग गया जो एक बार बस,
समझो वो हो जाता इसमें ही चूर हैं।
कहते हैं इश्क इसे एक तरफ़ा हो तो,
बड़े से बड़ा घाव दे जाता है।
गर दोनों तरफ हो बराबर की लगी तो,
ना गैर कोई कभी बाज़ी मार पाता है।
खेलता तो हर कोई है पर हर कोई,
इज़हार करके सभी इसे जताते नहीं।
पर फेल हो गया जो जताने में अगर,
वापस इज़हार करने का मौका पाते नहीं।
नजर अंदाज़ करना और शक करना,
इश्क में फेल होने की निशानी है।
साथ जीने और साथ मरने का ज़ज़्बा ही,
इश्क में पास होने की एक कहानी है।
कोई इसे आग कहे तो कई लोग,
आग का दरिया भी इश्क को ही कहते हैं।
हमारा क्या हम तो इसे एक
इश्क का प्रसिद्ध खेल कहते हैं।
मिल जाए महबूब तो समझो पास
और ना मिले तो बस फेल हैं।
आप अपनी बताइये जनाब,
आप इश्क में पास है या फेल हैं।