आप ही बताए आप को भूलाए केसे
आप ही बताए आप को भूलाए केसे
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आप ही बताए आप को भूलाए केसे
इतनी सी हैं जो दौलत लुटाए केसे
शोलो सी हैं जो ठंडी राख में,
बची है अभी भी जज्बात में
जिन्दगी सी साथ में, बुझाए केसे
कम्बल सी हैं जो सर्द रात में
बरसी हैं जो भरे बाजार में
भिगोए जो याद में, बचाए कैसे
सुबह की जो हैं लाली सी
गरीब की है जो दीवाली सी
उम्मीद सवाली सी, समझाए कैसे।