आँसू सागर हो जाते हैं
आँसू सागर हो जाते हैं
प्रिये तुम्हारी यादों वाले, मौसम दूभर हो जाते हैं ।
तब दिल की धरती से फूटे, आँसू सागर हो जाते हैं...।।
पलकों की सरहद पर ठहरे, सपने जब लाचार खड़े हों ।
स्वाभिमान की बलिवेदी पर, मिटने को तैयार खड़े हों ।
जिद की विषुवत रेखा पर तब, आँसू पत्थर हो जाते हैं...
प्रिये तुम्हारी यादों वाले, मौसम दूभर हो जाते हैं...।।
एक तुम्हारी सूरत ही है, जो मन को बहला जाती है ।
बार-बार रुकती धड़कन को, हल्के से सहला जाती है ।
दर्द थकन तन्हाई सारे, तब छू-मंतर हो जाते हैं.....
प्रिये तुम्हारी.......।।