आँखें
आँखें
आँखें तुम्हारी खुदा की
नैमत है तुमको
देखा करो तुम
इनसे हमी को
कुछ दोस्त है
कुछ दुश्मन भी है इनके
नज़र न लग जाये
किसी दुश्मन की इनको
इश्क़ करना इनसे
खुदा की इबादत सा
प्रकृति के श्रंगार सा
मौन हो जाये जब
इन जादुई
आँखों का तिलिस्म
उसी पल में खुदाया
न ज़िंदा रखना तू मुझको।