आँखे कमजोर
आँखे कमजोर
भाई मेरी आँखे कमजोर होने लगी है
पता नहीं क्या हो गया है मुझे,
कोई मेरी बातों को बकवास कहता है
कोई कहता है मुझे विश्वास नहीं,
जब से काम का बोझ बढ़ा लगता है
आँखो पर शायद पर्दा पड़ा है
अब जब कोई भी जुर्म करता है
मुझे अपना पराया नजर नहीं आता।
तनहा शायर हूँ
