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Shweta Sharma

Tragedy

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Shweta Sharma

Tragedy

आना ही नहीं था

आना ही नहीं था

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क्यों आने से खुद को रोक ना पाए, जब जाना ही था;

ये बताओ क्यों आए, जब हमेशा के लिए आना ही नहीं था,

खेलना था, तो खिलौने से खेलते; किसी की भावनाएं कोई खिलौना नहीं,

जब खेल में छल कपट करना था, तो खेल शुरू करना ही नहीं था,


आंखों में समंदर देकर फिर लहरों का डर दिखाते रहे,

जब लहरों का डर इतना ही था, तो हम दोनों को डूबने देना ही नहीं था,

कश्ती के सहारे भी शायद कुछ बच पाते, पर तुम्हें तो साथ वापस आना नहीं था,

कोई और किनारा था तुम्हारा हमेशा से, तुम्हें उस दूसरे किनारे पर जाना ही था,


हमें लगता था तुम्हारी आंखें बोलती हैं, पर बाद में पता लगा,

जितना भी बोलती हैं; झूठ बोलती हैं,

अगर झूठ ही बोलना था, तो सच का दिखावा करना ही नहीं था,


जब तुम्हारे पास दूसरा चेहरा था, तो पहले वाला दिखाना नहीं था,

जब हम कुछ हंसने लगे; तो तुम्हें हमको रुलाना नहीं था,


हमनें तो सोचा उम्र भर का, पर तुम्हें तो जल्दी जाना ही था,

मरहम बनते बनते दर्द का कारण तुम्हें बनना ही था,

किसी के साथ दोबारा ऐसा मत करना, किसी को झूठी उम्मीदें मत देना,

अगर देने के बारे में सोचो; तो वहां जाना ही नहीं,


हम तो कुछ सोच ना पाए, कह ना पाए और तुम सब कुछ सोच कर चल दिए,

बस ये ही पूछती हूं, जब जाना था, तो क्यों आए, आना ही नहीं था।


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