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Akanksha Gupta

Tragedy

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Akanksha Gupta

Tragedy

आमना सामना

आमना सामना

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एक बार फिर जो तुमसे मिरा मिलना हुआ

भर चुके ज़ख्मों से शुरू दर्द का बहना हुआ

जान कर हाल-ए-तबियत मिरे ज़िस्म का

फिर मिलते हैं और कभी तेरा ये कहना हुआ


भूल चुके हम जो इश्क़ में तेरी जफ़ाओं को

भुला ना सके हम तिरी फ़रेबी निगाहों को

आये हो लेकर ज़ुम्बिश-ए-दिल जो यहाँ

मिरी नफ़रत से मिरा आमना-सामना हुआ


याद आया एक दिन जब तुम हमारे थे कभी

आँचल में सिमटे हुए थे चाँद-सितारे सभी

तमकनत-ए-इश्क़ जो थीं तुम्हारी नज़रों में

उसको देखे हुए अब हमको ज़माना हुआ


तुमसे ना कोई शिकवा ना शिकायत है हमें

बस एक ख़लिश-ए-मोहब्बत इस दिल में

फ़क़त एक पल को लौट आया मिरा अतीत

उस पल ‘वेद'-ए-सफ़र आगे को रवाना हुआ


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