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Satyendra Gupta

Abstract

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Satyendra Gupta

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आम आदमी

आम आदमी

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चलो करते है बात आम आदमी का,

समझते है जज्बात आम आदमी का,

आम आदमी समझना चाहता है क्या,

आम आदमी देखना चाहता है क्या,

करते है मूल्यांकन आम आदमी का,

चलो करते है बात आम आदमी का।


सुबह उठता है जब आम आदमी

एक नई चाहत के साथ,

ना मैं करु बुरा किसी का,

ना बुरा हो मेरे साथ,

आज कमाई हो जाए इतना की,

भर पेट भोजन कर सकू अपने बच्चो के साथ,

बस सोचे है अच्छा आमदनी का,

चलो करते हैं बात आम आदमी का।


मनाता है ईश्वर से हमेशा,

हम रहे खुश और खुश रहे परिवार हमारा,

मनाता है ईश्वर से हमेशा,

हम रहे खुश और खुश रहे समाज हमारा,

परिवार पर विप्पति आने से पहले ,सामना हो हमारा

मनाता है ईश्वर से हमेशा,

आज का दिन अच्छा है बीत गया,

इसी तरह से दिन कटते जाए हमारा,

बीते अच्छे दिन मेरा और हम सभी का,

चलो करते है बात आम आदमी का।


सोच ज्यादा बड़े रखते नही, पूरा हो पाता कहां,

बच्चें बड़े हो जाएं , अपने पैरो पे खड़े हो जाएं,

बिटिया की शादी हो जाएं, अपनी घर को चली जाएं,

किसी तरह से पूरी हो जाएं जिम्मेदारी,

फिर मरने पे भी गम ना होगा,

किसी तरह सब लोग रहे खुश अपने जीवन में,

तो गम ना होगा मुझे मरने का

चलो करते है बात आम आदमी का,

चलो करते हैं बात आम आदमी का।


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