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Vikram Vishwakarma

Abstract

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Vikram Vishwakarma

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विजय संग्राम

विजय संग्राम

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उठो सनातन ऋषिपुत्र सो गये कहाँ तुम अब जागो,

है धर्म सत्य अब संकट में मत छोड़ इसे बिल में भागो।


बढ़ रहे अनेकों अरिदल हैं धर मनुज देह दानव सारे,

हैं इन्हें पाठ कुछ सिखलाना भारत के वीर सुनो प्यारे।


हो धीर वीर उद्यमी परम उन परशुराम को याद करो,

भारत माता के सपूत हो यह बात पुनः विख्यात करो।


कुछ याद करो गीता में गिरधर नागर ने क्या सिखलाया,

उन वीर शिवा राणाप्रताप ने मार्ग कौन सा दिखलाया।


वह पार्थ बनो गांडीव धरो तुम कुरुक्षेत्र की ओर चलो,

अपने भुजबल से दुश्मन को ले भूतल के उस छोर चलो।


जो लोग अधर्मी कुटिल प्रपंचक लगे देश लुटवाने में ,

कुल जाती वर्ण से फोड़ हमें हमसे हमको लड़वाने में।


दो कुचल नियत इनकी सारी हो एकजुट तुम राम बनों,

हो पांचजन्य की रूद्र गर्जना और विजय संग्राम करो।


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