राम मिताई
राम मिताई
नाथ सनातन सब पुरवासी,
राम नाम जपयैं सब वासी।
अब कछु बल बुद्धि देऊ मोहि रघुबीर,
तुम्हार धाम बनावैं हम हरहिं सब पीर।
बड़ी उल्फत सी हो जाती है,
जब याद प्रभु को करता हूं,
बड़ी गनीमत सी हो जाती है,
जब शाख प्रभु की लिखता हूं।
राम चरित्र नहीं कोई जन पावा,
सब मंदिर से मस्जिद सिर नावा...
जहां अयोध्या राम ने जन्म भूमि बनाई,
मंदिर वहीं बनेगा सुनि सब राम मिताई।