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AMAN SINHA

Romance Tragedy Fantasy

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AMAN SINHA

Romance Tragedy Fantasy

आखिर क्यूं ?

आखिर क्यूं ?

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हमें पाकर भी उन्हें क्या मिलेगा

पल भर की खुशी फिर रोज़ ही जलेगा

चाहे कहे या ना कहे वो होठों से मगर

ये सिलसिला तो अब रोज़ ही चलेगा

 

नहीं पता उसने ऐसा क्यूं किया

हमें जानकर भी अपना दिल क्यूं दिया

ज़ख़्म उसे सुकून देते हैं शायद

तभी उसने दर्द से अपना दामन भर लिया

 

मेरी लाख लानतों के बाद भी

क्यूं वो हर रोज़ चला आता है

लगता है उसे मेरे शौक पसंद है

तभी हर रोज़ मज़ा देने आता है

 

कोई इतना ग़म कैसे ढो सकता है

बंज़र दिल में प्यार के बीज बो सकता है

बस एक हमारे सुकून की खातिर

हर बार वो हमसे रुसवा हो सकता है


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