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Kamal Purohit

Tragedy

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Kamal Purohit

Tragedy

आखिर क्यों पराई हूँ

आखिर क्यों पराई हूँ

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जन्म के बाईस वर्षो के बाद,

अपने माता पिता को छोड़,

चल पड़ी मैं अकेली ही

एक अनजान घर में 

अपने जीवन का 

सफर तय करने।


किसी की पत्नी,

किसी की बहू,

किसी की चाची,

किसी की मामी बनने

जब से होश संभाला है

एक ही बात सुनी मैंने

बेटी तो पराई होती है।


ब्याह कर के ससुराल आई

मुझे लगने लगा अब 

मैं अपने घर आ गयी

कुछ ही समय में 

मैंने खुद को गलत पाया

हर कोई यही कहता रहा

ये तो पराये घर से आई है।


तब से मन में एक प्रश्न ने

बुरी तरह से जकड़ लिया मुझे

माँ बाप के घर में मैं पराई हूँ ?

या ससुराल में मैं पराई हूँ ?

इसका जवाब में युगों से ढूंढ रही हूँ।


आखिर क्यों पराई हूँ ?

आपको मिले तो जरूर बताना।


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