आखिर क्या है ये कोरोना?
आखिर क्या है ये कोरोना?
नाम है इसका कोरोना, परेशान हैं इसे देश का हर कोना!
मानव जाति का है ये रोना, छूटे गली मोहल्ले
और हर कोना!
घूमता देश विदेश गली चौबारा है!
शिकार करता छुप छुप के ना मौका देता दोबारा है!
जो आज तक देखा ना सुना ऐसा इसका अफसाना है!
मानव जाति के कुकर्मो का ये पूरा हर्जाना है!
नाम है इसका कोरोना, परेशान हैं इसे देश का हर कोना!
मानव जाति का है ये रोना, छूटे गली मोहल्ले
और हर कोना!
चारों तरफ लाशों के ढेर सूनी गलियाँ चौबारे है!
दुश्वार कर दिया मिलना जुलना और देखने नजारे है!
आगोश में इसके बस एकाकी और तन्हाई है!
फिके गये तीज त्योहार बाज़ारों मे रुश्वाई है!
नाम है इसका कोरोना, परेशान हैं इसे देश का हर कोना!
मानव जाति का है ये रोना, छूटे गली मोहल्ले
और हर कोना!
इसके नुक्सान बहुत पर हजारों फायदे भी है!
स्वच्छ हुऐ नदिया फ़जा और अंबर भी है!
प्रदूषण पर वार किया,ओजोन परत संवारा है!
परिवार को इसने साथ किया, किसी और से मिलना
ना गंवारा है!
नाम है इसका कोरोना, परेशान हैं इसे देश का हर कोना!
मानव जाति का है ये रोना, छूटे गली मोहल्ले
और हर कोना!
मानव ने प्रकृति को बहुत नांचे नचवाऐ है!
मानव जाति को सबक सिखाने ये वायरस धरती पर आए हैं!
बड़े बड़े अमेरिका ब्रिटेन से घुटने टिका है!
जात पात ना मज़हब से इसको शिकवा है!
नाम है इसका कोरोना, परेशान हैं इसे देश का हर कोना!
मानव जाति का है ये रोना, छूटे गली मोहल्ले
और हर कोना!
दूर से कहो नमस्ते ना किसी के दरमियाँ आना है!
काम करना है, बस एक परिवार के संग वक्त बिताना हैं!
जितने मुंह उतनी बातें लोग कहते आवला संतरा खाना है!
स्वच्छता, मास्क और सेनिटाईजर ही इसका गहना है!
नाम है इसका कोरोना, परेशान हैं इसे देश का हर कोना!
मानव जाति का है ये रोना, छूटे गली मोहल्ले
और हर कोना!
चमक धमक से दूर रहो यही तो ये सिखलाया है!
क्रिकेटर, मूवी, भीड ये सब मोह माया है!
डाक्टर,पुलिस, ही असली संरक्षक हैं!
अब भी देखो आँखें खोलो कौन प्रकृति के भक्षक हैं!
नाम है इसका कोरोना, परेशान हैं इसे देश का हर कोना!
मानव जाति का है ये रोना, छूटे गली मोहल्ले
और हर कोना!
धन, दौलत और जमीन सब यही रह जाना है!
दाल, रोटी और प्रभु नाम यही काम आना है!
अमीर, गरीब नेता, मजदूर ना इससे कोइ बच पाया है!
सब पिसते इसकी चक्की में यही तो इसकी माया है!
नाम है इसका कोरोना, परेशान हैं इसे देश का हर कोना!
मानव जाति का है ये रोना, छूटे गली मोहल्ले
और हर कोना!
जनमानस की चतुराई से इसको धरती से भगाना है!
संकल्प चाहिए बस एक उतारना धरती का ऋण है!
भुखमरी ना फैलने देंगे ये ही हमारा प्रण है!
नाम है इसका कोरोना, परेशान हैं इसे देश का हर कोना!
यह कविता मौजूदा हालातों पर आधारित है!