सोमरस
सोमरस
शराब की दुकानें क्या खुली की बंधन सारे टुट गये,
धज्जियां उड़ी लाकडाऊन की शराबी सारे टुट पड़े !
ये कैसी अर्थव्यवस्था है जो शराब बेचने से सुधरेगी,
काला बाजारी की ये धांधली आखिर कब रूकेगी!
बच्चे बीबी भूखे हैं, पर वो बेहोश पड़ा सड़क पर है,
घर के पैसे और दान के अन्न बेच खड़ा वो ठेके पर है !
मंदिर, मस्जिद है बंद पड़े, खुली है बस मधुशाला,
घोर कलयुग है ये, है बड़ा गड़बड़ झाला !
जिंदगी आज सस्ती हो गयी मैखाने के आगे,
बारिश, कोरोना कुछ ना दिखा एक पैमाने के आगे !
ये ही तो है इस मदिरा कि माया,
इसकी है पानी सी काया !
पर जिसके मुंह लगती उसी को भाया,
परिवार तोड़े सारा पैसा खाया !
इतिहास गवाह है जिन पर इनका फैला साया,
परिवार तोड़ा अकेलापन लाया !