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Dr. Swati Rani

Inspirational

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Dr. Swati Rani

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रंगभेद

रंगभेद

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इंसान तो इंसान है,

धरती का अभिमान है

चाहे गोरा हो या काला,

गेहुंआ हो या कत्थई


ईश्वर जब भेद नहीं करता

तो किसने ये रंगभेद बनाया

गोरे है बेहतर काले है हीन, 

किसने ये मापदंड बिठाया।


ईश्वर के दरबार में तो सब बराबर है, 

मैं गोरा तू है काला फिर

क्यों होता हर बार है

फितरत पर तो जोर नहीं,


चमड़ी से अच्छाई गिनाते हैं

ये मानव कि कैसी पराकाष्ठा

कालों को हीन बताते हैं


ये धरती है सबकी,

सबका है बराबर हक,

जितनी गोरों कि उतनी

कालों कि नहीं कोई शक


फिर क्यों ये हरबार कत्लेआम है, 

इंसानियत की रूह छलनी सरेआम है

सबका रंग माटी सा होगा एक दिन, 

याद रहेगी फिर अच्छाई ही सिर्फ, 


फिर काहे का घमंड ऐ मानव

काहे का खून खराबा रे मानव

गांधी और मंडेला के अनुयायी बनो, 

इंसानियत का दामन पकड़ो


छोड़ो सब ये भेदभाव

फैला दो ये गाँव- गाँव, 

अब ना है कोई चाव, 

काले-गोरे अब होंगे एक छांव !


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