आखिर कब तक सोचोगे
आखिर कब तक सोचोगे


आखिर कब तक तुम बहाने बनाते रहोगे और हम को यूँ ही सताओगे,
जितना भी सोचना है सोच लो और फैसला कर लो,
आखिर कब तक तुम सोचोगे ये हम को बता दो,
तेरे सोचने समझने में ना पूरी जिंदगी गुजर जाए,
जब भी मिलते हो थोड़ा सा इन्तेजार करो कहते हो,
आखिर हम कब तक करे इन्तेजार तेरा ये तो बताओ,
दिन बीते महीने बीते अब तो बीत गए साल,
क्या इस जन्म में ले लोगे कोई फैसला तुम
या फिर रुकना पड़ेगा अगले जनम तक,
आखिर कब तक आखिर कब तक सोचते रहोगे,
थोड़ा सा तो दिमाग लगा लो हर पल ना देखो महूर्त,
ये वक्त ये महूर्त के चक्कर मे कर रहे हों जिंदगी तबाह,
जब जी चाहे तब बसा लो अपना आशियाना ये महूर्त वगैरह सब बेकार की बातें ।