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Neha Tripathi

Tragedy

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Neha Tripathi

Tragedy

भेदभाव

भेदभाव

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एक ही माता-पिता की हम है संतान

फिर क्यों भेदभाव कर के हमे मिलती है अलग पहचान।


नौ महीने वो पालती है कोख में 

लड़की-लड़के को एक समान

दर्द भी सहती है समान 

तब क्यों लड़की लड़के को दी जाती है अलग-अलग पहचान


भाई को भी छाती से लगाया 

मुझे भी तो गोद मे है सुलाया

रात में उठ-उठ कर हमदोनो को है खाना खिलाया।

माँ ने तो हमे प्यार किया है एक समान

फिर क्यों समाज ने किया हमारे में भेदभाव

दे दी हमे अलग-अलग पहचान


थोड़े बड़े हुए तो सबने टोका

लड़कियों को बाहर जाने से रोका

गुड़िया से खेलो

खाना पकाओ

लड़की हो बाहर न जाओ

क्या लड़को को है पूरी आजादी

जो है लड़कियों पर भारी


न ज्यादा तुम पढ़ना-लिखना

इसमे न सम्मान है

पति के पैरों में झुकना यही तुम्हारा सम्मान है।

इसलिए समाज ने किया भेदभाव है 

लड़के लड़की को इसलिये दी गई पहचान है।


रुको

ये समाज के लोगो

न हमे चाहिए तुम्हारी पहचान है

मेरे परिवार में लड़की लड़का एक समान है।


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