क़ैद है कुछ यादें
क़ैद है कुछ यादें
कैद है कुछ यादें
तमाम तस्वीरों में
जो देख रही है मुझे
प्रश्नवाचक नजरों से
क्या वही हो तुम?
जो इतना खिलखिलाती थी
मुस्कुराने का मौका जो न कभी छोड़ पाती थी
क्या हुआ जो तुम मायूस हो गयी
नराज हो मुझसे जो मुझसे यु दूर हो गयी
कैद कर के मुझे यादों में
तुम मुझे भूल गयी हो
तस्वीरों में मुझे सिर्फ कैद करती हो
क्या असल जिंदगी में हँसने से डरती हो
मुझे सिर्फ दिखावे के लिए कैद न करो
हमेशा यू खुल कर हँसो
तस्वीर को यादो का बहाना न बनाओ
ज़िंदगी बड़ी है कुछ तस्वीरे अपने अच्छे कर्मों से लोगो के दिमाग मे लगाओ।
