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Dhan Pati Singh Kushwaha

Tragedy

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Dhan Pati Singh Kushwaha

Tragedy

मिल-जुल खाते रहते हैं चोर

मिल-जुल खाते रहते हैं चोर

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चुनाव का मौसम आते गरीब के हित का,

मचता है बड़े ही जोर का शोर।

चुनाव होते ही गरीब का हिस्सा मिल-जुल खाते रहते हैं चोर।


चुनावी वेला में गरीब के चरणों में रख देते सर,

सच्चे सेवक बनेंगे तुम्हारे आशीष दे दो हमें वोट देकर।

चुनाव होते ही हो जाते नदारद न मिलता इनका कोई ठौर,

चुनाव का मौसम आते गरीब के हित का,

मचता है बड़े ही जोर का शोर।

चुनाव होते ही गरीब का हिस्सा मिल-जुल खाते रहते हैं चोर।


तीन -चौथाई सदी बीत गई पर समाज में असमानता जारी है,

अब तक दस सालों का लक्ष्य हो सका न पूरा गलती अपनी सारी है ।

जागरूकता के अभाव में भोली जनता का हिस्सा खा जाता कोई और,

चुनाव का मौसम आते गरीब के हित का,

मचता है बड़े ही जोर का शोर।

चुनाव होते ही गरीब का हिस्सा मिल-जुल खाते रहते हैं चोर।


समस्या का समाधान तब होगा सब जब होंगे जानकार,

जानकारी होने पर ही मिल पाएंगे सबको

उनके अधिकार।

योजनाएं ईमानदारी से लागू हों हक गरीब का मार सके न और,

चुनाव का मौसम आते गरीब के हित का,

मचता है बड़े ही जोर का शोर।

चुनाव होते ही गरीब का हिस्सा मिल-जुल खाते रहते हैं चोर।


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