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Shilpa Mahto

Drama

4.8  

Shilpa Mahto

Drama

आखिर कौन हो तुम ?

आखिर कौन हो तुम ?

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किसी अमृता के

इमरोज बनकर

कभी हर नई सुबह के

रोज बनकर

भर जाते हो

सूने दिलों के

घरोंदों को !


किसी प्यार में

नाज बनकर

कहीं जिन्दगी के

ताज बनकर

किसी कल के

आज बन कर

छेड जाते हो

वीरान गलियों को !


किसी शब्द में

आवाज बनकर

कहीं संगीत के

साज़ बन कर

किसी कहानी के

राज बनकर

भर जाते हो एक

मुस्कान इस

उदास शहर में !


आखिर हो कौन तुम

जिन्दगी, प्यार

या ख्वाब...?


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