आज फिर वो लाल जोड़े में नजर आई
आज फिर वो लाल जोड़े में नजर आई
आज फिर वो लाल जोड़े में नजर आई...
वो तो वही की वही खड़ी रही पर उसकी खुशबू मेरे पास आई...
आज फिर वो लाल जोड़े में नजर आई....
वो सुर्ख आँखो में काजल तो था पर उदासी छुपाने के लिए...
देख कर उसको दिल धड़क तो था
एक बार फिर से उससे मिल कर आऊँ क्या...
वो मुझे भूल जायेगी पूछ कर आऊँ क्या ....
आज फिर वो लाल जोड़े में नजर आई...
कुछ वादे पुरे नही हुए उसे निभाऊं कैसे ...
मैं अगर चाहूँ भी तो उसे भूल जाऊँ कैसे....
आज वो फिर लाल जोड़े में नजर आई....
अपने हाथ की मेहंदी दिखा कर रोई...
खुद को तोड़ कर दूसरे के वादों को निभा कर रोई...
मेरे पास नहीं है अब वो ये सोच कर रोई...
आज फिर वो लाल जोड़े में नजर आई...

