आज मैंने नौसिखिया के छोटे से ख्वाब को हकीकत बनते देखा है
आज मैंने नौसिखिया के छोटे से ख्वाब को हकीकत बनते देखा है
आज मैंने नौसिखिया के छोटे से ख़्वाब को हकीकत बनते देखा है …
आज मैंने फिर सूरज को, हज़ारों उम्मीदें जगाते हुए देखा हे …
आज मैंने बंध पिंजरे के पंछी को, आसमान में ऊँची उड़ान भरते देखा है ..
आज मैंने गई बारिश से इंतज़ार कर रहे सारसबेलड़ी, की प्यास को
चंद बारिश की बूंदों से बुझते देखा है ..
आज मैंने समुन्द की लहरों को प्यार से,
इन बेकरार रेत को गले लगाते हुए देखा है ...
आज मैंने मरुस्थल में बारिश के आने का पैगाम सुना है
वहाँ तो पल भर में मरुस्थल में उत्सव का माहौल बना है …
आज मैंने घनघोर बादल को आसमान में घूमते देखा है,
वहाँ तो लाखों किसानों के जान में जान आई हे …
आज मैंने पर्वतों की चोटी पर अलग ही शोर देखा है, पूछा ?
तो जाना कि पर्वतारोहण के आने का खत मिला हे …
आज मैंने नदियों को चुपके चुपके के बहते देखा हे,
ना जाने कब से ? कहाँ जाने की उम्मीद में ?,
हर पल खड़ खड़ बहती जाती हे, पता नहीं किसके इंतज़ार में …
ना वो देखती है ऊँचे पहाड़, ना वो देखती हे उबड़ खाबड़ राह का सफर,
ना वो देखती है दिन और रात, घनघोर जंगल या तेज़ बारिश या तूफ़ान,
बस अपनी धून में, किसी के ख्यालों में डूबी हर वक्त चलती जाती हे ….
बस वैसे ही आज मैंने उस नदी की तरह चल रहे,
नौसिखिया के छोटे से ख़्वाब को, हकीकत बनते देखा हे !!!
आज मैंने नौसिखिया के छोटे से प्रयास को,
हज़ारों की जिंदगी बदलते देखा हे ..
आज मैंने नौसिखिया के चेहरे पर, एक प्यारी सी मुस्कान देखी है जो,
एक ख़्वाब को हकीकत बनने का पैग़ाम दे रहीं है ….