आधा चांद
आधा चांद
वो घर से निकलते हुए
हर रास्ते में मिल जाता है...1
रात को हमेशा आसमां में
वो आधा चांद मिल जाता है...2
वो कभी मेरा हो जाता है
कभी मेरे हमसफर का चेहरा
हो जाता है.....3
जो लिखे कोई गजल
तो उसका आधा चांद हो
जाता है......4
कभी शेर ओ शायरी की
आवाजों में बुलंद होता ...5
कभी रात के सर्द मौसम में
छुपा छुपी खेलता हुआ
वो आधा चांद हो जाता है...6
दिन में कभी बरसे तो नजर
नहीं आता वो कही खो सा
जाता है...7
अक्सर बारिशों के बाद
वो धुंधला आधा चांद हो
जाता है....8

