सदाबहार प्यार
सदाबहार प्यार
“देख जो चौथे नम्बर पर बैठी है ना ” गोरी सी लड़की। भगवंत ने राकेश से कहा।
नीले कुरते में ?? राकेश ने मज़ाक़ किया
नीला तो सभी पहने है पागल !! ऑफिस ड्रेस ही नीली है, आगे से चौथी। सबसे गोरी, बड़ी / बड़ी आँखों वाली। भगवंत की आवाज़ में जोश था।
“ पागल तू हो गया है, भगवंत ! ” पीठ देख कर कैसे पता लगेगा कि गोरी है या काली ? और उसकी आँखें खोपड़ी में पीछे की तरफ़ जड़ी है क्या ? राकेश ने ठिठोली की। मैं क्या नहीं जानता मीनू को ? पागलों जैसी बातें मत कर !!
“एक बात बता तू दोस्त है या दुश्मन मेरा ?” सिर्फ तुझे बताया मैंने उसके बारे में और तुझे मज़ाक़ सूझ रहा है। जाने दे ! किसी दिन तुझे भी ज़रूरत पड़ेगी , तब मत ढूँढना भगवंत को। तुझे मेरी कोई मदद करने की ज़रूरत नहीं और न ही अब तेरी कोई मदद लेनी है मुझे।
“नाराज़ मत हो यार” चल उस तरफ़ चलते हैं, राकेश उसको खींचता हुए दूसरी तरफ़ ले गया। “ पागल हो गया क्या तू , वो चौड़े जबड़े वाला खड़ा है ? जानता है उसको ? उसका चाचा है, सुन लेता तो पिटाई पक्की थी। कहीं भी शुरू हो जाता है, अग़ल / बग़ल तो देख लिया कर। अब बता क्या करना है ? एक बात बताऊँ तुझे “ तुम्हारी मीनू आजकल सनी के साथ ज़्यादा ही खुल रही है।" कल दोनों जॉनी बर्गर में देर तक साथ में थे। तूने मीनू को कभी बताया कि तेरे दिल में क्या है ? उसको बोल, हाँ करती है तो ठीक नहीं तो दूसरा रास्ता पकड़ !
तुझे प्यार हुआ है किसी से ? नहीं ना !! फिर तुम क्या जानो। यह कोई सामान थोड़े कि यह पसंद नहीं आया तो वो ख़रीद लो। जिस दिन तुम्हें प्यार होगा तब पूछूँगा। तेरी भाभी तो मीनू ही बनेगी कैसे भी। सनी का दिमाग़ मैं बहुत जल्दी ठीक करने वाला हूँ। उसकी चिन्ता मत कर। तू बस इतना कर, किसी भी तरह यह पता कर दे कि मीनू मेरे बारे में क्या सोचती है।
“पर किस तरह से पता करूँ ? मेरे पास कोई जादू की छड़ी तो है नहीं। राकेश चिड़ गया।
“ है ना ! जान्हवी तुम्हारी मौसी की लड़की। उस से बोल दे प्लीज़।” उसकी तो मीनू से बनती है।
नहीं !! वो घर में सब को बता देगी। तू जानता नहीं उसको। कोई दूसरा रास्ता निकालना पड़ेगा। राकेश सचमुच में परेशान लग रहा था। क्या करूँ ? हूँ !! एक रास्ता है , तू भाई दो दिन का समय दे , मैं पक्का पता करा दूँगा।
थैंक्स यार ! भगवंत ने राकेश को गले लगा लिया।
पहले काम हो जाने दे। थैंक्स क्या पार्टी भी दे देना।
“ पार्टी जहाँ तू बोलेगा ” पक्का।
“ भगवंत तू उसको भूल जा ” राकेश उदास था।
क्यों क्या हुआ ? भगवंत बेचैन हो गया।
उसकी सनी से सगाई होने वाली है इसी महीने। तू उसको भूल कर अपने करियर पर ध्यान दे।
“ पर यार मेरे साथ ही ऐसा होना था ” क्यों ?? उसको कैसे भूलूँगा, मैं उसको नहीं भूल सकता। भगवंत मानो खुद से बातें कर रहा था। मैं मर जाऊँगा उसके बिना , तू कुछ कर न यार। भगवंत का गला रुँध गया।
राकेश ने कस कर उसको गले लगाया। हलके / हलके उसकी पीठ सहलाता रहा , भगवंत सुबक रहा था।
सच में अब कुछ नहीं हो सकता ? भगवंत विश्वास नहीं कर पा रहा था।
नहीं —अब कुछ भी करना मीनू को बदनाम करना है। क्या तू चाहता है वो बदनाम हो ?
कभी नहीं। भगवंत बोला। गलती मेरी है मैंने उसको ज़ाहिर ही नहीं किया। सज़ा भी मुझे ही भुगतनी पड़ेगी। पर वो ताउम्र मेरे पास रहेगी मुस्कुराती हुई । भगवंत की आँखों में दर्द का सैलाब था। राकेश ने उसका हाथ पकड़ा हुआ था।