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अनजान रसिक

Classics Inspirational Thriller

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अनजान रसिक

Classics Inspirational Thriller

ज़िंदा हो तुम

ज़िंदा हो तुम

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अगर ह्रदय को झकझोरता मंज़िल को पाने का

ख्वाब रोज़ आता है मन में हर पल,

तो समझ लो ज़िंदा हो तुम।


अगर हसरतें हैं हज़ार और अरमान बेशुमार,

तो समझ लो ज़िंदा हो तुम।

अगर हार का सिलसिला मुक्कम्मल है

और जीत की दरकार हर पल है,

तो समझ लो ज़िंदा हो तुम।


अगर उमंगें हैं जवान और किसी का ख्याल

आता है बार-बार दिल को

तो समझ लो ज़िंदा हो तुम। 

कश्मकश तो ज़िन्दगी का हिस्सा है,

नग्मे के रूप में गुनगुनायी जाए,

ये ज़िन्दगी तो ऐसा एक किस्सा है।


गम और ख़ुशी का समन्वय है

इस ज़िन्दगी में जनाब,

जो हंस कर मज़ा लिया भरपूर इसका,

तो समझ लो ज़िंदा हो तुम। 


अगर दिलों में बेताबियाँ ले के चल रहे हो अपने,

तो समझ लो ज़िंदा हो तुम।


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