रातें
रातें
उन रातों का डर नहीं
जिन रातों में अब तुम्हारा साथ नहीं
खालीपन की चादर ओढ़े
सो जाती है रातें
करवटे बदलते ही
कही खो जाती है बातें
मुंदी-अधमुंदी पलकों से
कभी झाँका करते थे
तुम जाग रहे होगे,सोच तुम्हे
टटोला करते थे
पर अब वो एहसास भी
कभी कचोटता नहीं
कोई हमारे लिय अब
जगता नहीं।