राम करे सो होई रे व्रथा कहे को जीवन खोई
राम करे सो होई रे व्रथा कहे को जीवन खोई
तेरे हाथ में कुछ नहीं प्यारे, जो राम करे सो होई
रे व्रथा कहे को जीवन खोई
निर्मल जल सा कोई नहीं है
पावन मन सा कोई नहीं है
छोड़ गए सब आई गिरानी
अपनो ने भी करी मनमानी
मतलब के सब रिश्ते नाते, नहीं किसी का कोई
रे व्रथा कहे को जीवन खोई
जब तक तेरी बात बनी है
तब तक ही औकात बनी है
तेरी जब भी बात जो टूटे
सगे सम्बन्धी जात ही छूटे
बनी बनी के सब साथी हैं बिगड़ी का नहीं कोई
रे व्रथा जीवन कहे को खोई
पुरुषोत्तम श्री राम भी आये
गिरधारी घनश्याम भी आये
मृत्यु लोक की रीत निभाये
गीता में यह वचन सुनाए
आना जाना लगा यहाँ पे, यहाँ रहा न कोई
व्रथा काहे को जीवन खोई
तेरे हाथ में कुछ नहीं प्यारे, जो राम करे सो होई।
बालपन हँस खेल गमायो
यौवन में धन खूब कमायो
गलियों में तू खूब इतरायो
आया बुढ़ापा मन पछतायो
बिना भजन के काहे प्यारे, तूने देहिया ढोई
रे व्रथा जीवन कहे को खोई
ये जीवन तो है नदिया धारा
राम बिना अब कौन हमारा
मतलब का ये जग हैं सारा
यहाँ बने मेरा कौन सहारा
गाता जाऊँ राम भजन में ,प्रभु पार जगाओ मोही
रे व्रथा जीवन काहे को खोई
राम नाम न जो मुख से गाये
प्राणी जीवन भर ही पछताये
हरि बुलावा जब भिजवाये
अंत समय जब काल डराए
मनुज पड़ा पड़ा चिल्लाये
हरि बचाओ मोही
रे व्रथा जीवन कहे को खोई
हम सब मिलकर राम पुकारे
बिगड़ा ये जीवन राम सुधारे
डूबत को भी श्री राम उबारे
सरन मैं आये हम राम तुम्हारे
धर्मा तो कवि धर्म निभाये, शारद कृपा होई
रे व्रथा जीवन काहे को खोई
तेरे हाथ में कुछ नहीं प्यारे राम करे सो होई