चाँद और चाँदनी
चाँद और चाँदनी
चाँदनी ने कहा तू चाँद है,
तेरा कोई हिसाब नहीं।
चाँद ने कहा जो दाग है,
क्या तुझे ये याद नहीं।
लाख सितारों की रोशनी
चाँदनी से ही होती है।
दाग है तो हुआ ये रात तो
बड़ी खुबसूरत होती हैं।
वो रात भी हसीन जो
चांदनी बिखर रही थी
दाग था जिस चांद में
वो चांदनी निखर रही थी।
चांद में गर दाग है
तो चांदनी भी राग है
चाँद देख रहा है अब
चाँदनी का ही ख्वाब है।
पहर तो रात का था पर
चाँदनी ने दिन किया
मिल जाउँ मैं चाँदनी में
चांद का भी दिल किया।
क्या होगा आखिर
प्रश्न हुआ ये खड़ा
चाँद मिला चाँदनी से
सूरज निकल पड़ा।