इक नई सुबह
इक नई सुबह
चलो आज फिर इक नई सी सुबह बनायें
तुम सूरज लाना हम थोड़ी सी आशा लायें
सूखे खड़े उस वृक्ष में जीवन भर जायें
तुम पानी लाना हम गीली मिट्टी ले आयें
चलो आज फिर इक नई सी सुबह बनायें
तुम कलरव लाना हम थोड़े पंछी ले आयें
तपती सड़क के बचपन को शीतल कर जायें
तुम दवात लाना हम थोड़ी स्याही ले आयें
चलो आज फिर इक नई सी सुबह बनायें
तुम गीता पढ़ना हम तुम्हें क़ुरान समझायें
सदियों के भाईचारे को अखण्ड कर जायें
तुम सेवइयाँ चखना हम थोड़ी गुझिया ले आयें
चलो आज फिर इक नई सी सुबह बनायें
तुम बारिश लाना हम थोड़े बादल ले आयें
जलती धरा की आत्मा को तृप्त कर जायें
तुम भाव लाना हम थोड़ी मुस्कान ले आयें
चलो आज फिर इक नई सी सुबह बनायें
तुम प्यार लाना हम थोड़ा विश्वास ले आयें
पहले पहले एहसास से जीवन खिल जाये
तुम कदम बढ़ाना हम थोड़ा सा साथ निभायें
चलो आज फिर इक नई सी सुबह बनायें
तुम कर्म करना हम तुम्हें ढाँढ़स दे जायें
ऊँचे अपने लक्ष्य से ना कदम डिगायें
तुम चलते जाना हम राह के कंकड़ हटायें
चलो आज फिर इक नई सी सुबह बनायें
तुम दादी कहना हम नानी के किस्से सुनायें
सूख गयी जो जड़ है उसे फिर सींच के आयें
तुम नाना की लाठी हम दादा का इत्र ले आयें !