प्यार
प्यार
जब पहली बार पीछे से ही,
देखा था मैंने तुमको।
दिल की धड़कन बढ़ गई थी,
ख़ुशबू हवा में फैल गई थी।।
ऐसा लगा था मानो कोई,
ज़ोर ज़ोर से कह रहा हो।
यही है वो, कमी थी जिसकी,
जीवन में मेरे बरसों।।
तभी समझ मैं गई थी,
यह एहसास कोई आम नहीं ।
इतनी बेचैनी मित्र के लिए,
बात ख़ास है, आम नहीं।।
पूछ लिया था दिल से उस दिन,
क्या इसी का नाम है प्यार?
एक झलक भी मिली नहीं ,
और दिल हो जाए बेक़रार ।।
जब पास होकर भी दूर लगे,
और दूर होकर लगे आस-पास।
समझो तुम्हें प्यार हो गया,
भर लो मन में यह विश्वास ।।
प्यार की कोई परिभाषा नहीं है,
यह केवल एक एहसास है।
इसकी कोई आकृति नहीं है,
यह केवल एक आभास है।।