STORYMIRROR

Dr Shikha Tejswi ‘dhwani’

Abstract

3  

Dr Shikha Tejswi ‘dhwani’

Abstract

बड़ी नादानी करते हैं

बड़ी नादानी करते हैं

1 min
205

कभी-कभी यह बड़े लोग,

बड़ी नादानी करते हैं।

छोटों को वह शर्मसार कर,

पानी-पानी करते हैं।


उम्र का कोई ध्यान नहीं है,

सही-ग़लत का ज्ञान नहीं है।

क्षण भर की मस्ती की ख़ातिर,

महापाप कर देते हैं।


जब टूटता है इनका भक्क,

देर बहुत हो जाती है।

तिनके-तिनके में बिखर के,

इनका घर रह जाता है।


कोई ज़रूरी नहीं है कि,

बड़े हो तो बुद्धि भी हो।

बड़े होना अलग बात है,

बुद्धी होना अलग चीज़।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract