देह तो नश्वर है
देह तो नश्वर है
देह ही तो नश्वर है!!
आत्मा सदा ही अनश्वर है।।
तिनका-तिनका कर संचय ,
भौतिक सुख की समृद्धि में,
मिट्टी से उत्पन्न हो मिट्टी में,
मिलन ही अनंतर है!!
देह ही तो नश्वर है!!
एक दिन मिट जाना है।।
देह ही तो नश्वर है!!
मन की अनुभूति में जैसे,
बूँद का सागर में खोना ,
समुद्र के अंक में मिलकर,
नीर मंथन में विलय हो जाना है,
मिलन मिलन का अंतर है!!
देह ही तो नश्वर है!!
एक दिन मिट जाना है।।
देह ही तो नश्वर है,
अथाह धन की लालच वश,
क्या साथ ले जाना है,
दाम खर्च करना,
या बाँटना है,
तन खातिर क्यों ?
पापों का घड़ा सजाना है,
देह तो नश्वर है!!
एक दिन मिट जाना है।।
देह तो नश्वर है !!
पतंगें के जैसे,
दीपक की लौ में जल जाना है,
शरीर को क्षण भंगुर में,
ही मिट जाना है,
आत्मा अविनाशी है,
सत्कर्मों से पहचान बनाना है,
देह तो नश्वर है !!
एक दिन मिट जाना है।।
देह तो नश्वर है!!
भले काम का भला नतीजा,
कर्मों का ताना-बाना है,
विधि का विधान शाश्वत है,
सत्य ही शिव है,
शख्स को मिट जाना है,
शख्सियत को अमरत्व पाना है,
देह तो नश्वर है !!
एक दिन मिट जाना है।।