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Surendra kumar singh

Abstract

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Surendra kumar singh

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तुम्हारा आना

तुम्हारा आना

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तुम्हारा आना

दुनिया में

एक दुनिया का आना है

जिसमें मनुष्य

अपने प्रकृति प्रदत्त

सर्वोत्तम गुण

मनुष्यता के वशीभूत हो

जीना शुरू करता है।

अचानक जाने कितने

आकर्षक, प्रचलित आयाम

नेपथ्य में चले जाते हैं

और महसूस होने लगता है

ये आकर्षण तो

हमें हमारी ही मनुष्यता से

अलग थलग कर रहे थे

समाज को बांट रहे थे

सरकारों को अविश्वसनीय बना रहे थे

और अराजकता को

बल दे रहे थे।


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