हिज्र जारी है
हिज्र जारी है
हिज्र जारी था और जारी है
एक दुःख हर खुशी पे भारी है
आजकल जो नई बिमारी है
ये किसी की दुकानदारी है
दोस्त ये जो ईमानदारी है
ये सभी की जबाबदारी है
मेरे सर यूँ ग़मो का साया है
आसमा ज्यों ज़मी पे तारी है
कैसे समझाऊँ सुब्ह से मैंने
पी नहीं रात की उतारी है.
