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Sudha Singh 'vyaghr'

Drama Others

5.0  

Sudha Singh 'vyaghr'

Drama Others

प्रतिच्छाया

प्रतिच्छाया

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बैठे तुम,

वो भी बैठ गई.

तुम हुए खड़े

वह खड़ी हुई.


तुम जहाँ गए

वह वहाँ गई.

तुम जहाँ मुड़े

वह भी मुड़ ली.


हर दम पर

उसने साथ दिया.

जब हुआ अंधेरा घनीभूत

तुम डर से गए

वह क्यों न डरे?


तुम पकड़

निराशा बैठ गए.

फिर किस दम पर,

वह साँस भरे.


हर युग में कष्ट

रही सहती.

थी मूक सदा,

फिर क्या कहती.


पड़ गए थे जब

एकाकी तुम.

उसने ही साथ

दिया हर दम.


दुनिया वाले

संग छोड़ गए.

प्रतिच्छाया लेकिन

साथ चली.


नहीं खतावार,

मासूम है वो.

मत उसपर तुम

इल्जाम धरो.


मत कहना

वक्त बुरा आता

तो साथ नहीं

*साया* देता


वह तेरी ही

हमजोली है.

बचपन से

तेरी सहेली है.


तेरी धड़कन

उसमें स्पंदन.

लो दीप हाथ

मन भरो उजास.

पसरा दो

दिगदिगाँत प्रकाश.


फिर चुपके से

वह आएगी.

तेरे पीछे

दौड़ लगाएगी.


मुस्काएगी

वह संग तेरे.

हर दुख में

साथ निभाएगी.








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