ख़ुदा की प्रीत
ख़ुदा की प्रीत
मेरी हर चीख,
दुनिया की सीख बन गई।
मेरी हर चीख में,
खुदा की प्रीत बस गई।
प्रीत हमने भी कई तरह के देखी।
अद्धभुत, बेदर्द प्रीत कभी ना देखी।
मेरी हर चीख से,
दुनिया को सीख मिलती है।
मेरी हर चीख से,
ख़ुदा कि ज्योत जलती है।
मेरी हर चीख
पन्नों पर खुद उतर जाती है।
ख़ुदा की बेदर्दी
ना जाने सबको कैसे बता जाती है।।