एक लक्ष्य
एक लक्ष्य
हर रोज मैं
चलने कि कोशिश
करता हूँ,
गिरता हूँ
फिर संभल जाता हूँ,
मगर पहुँचता
नहीं हूँ,
सफर में ही
रह जाता हूँ,
हर कोशिश
नाकामयाब होती हैं,
जानते हो क्यूँ
क्योंकि मेरा कोई
एक लक्ष्य
नहीं हैं !
हर रोज मैं
चलने कि कोशिश
करता हूँ,
गिरता हूँ
फिर संभल जाता हूँ,
मगर पहुँचता
नहीं हूँ,
सफर में ही
रह जाता हूँ,
हर कोशिश
नाकामयाब होती हैं,
जानते हो क्यूँ
क्योंकि मेरा कोई
एक लक्ष्य
नहीं हैं !