दोस्ती को दोस्ती ही रहने दो
दोस्ती को दोस्ती ही रहने दो
रिश्ते में तमीज़ की गुंजाइश रहने दो
मुझे दोस्ती की बोलबाला कहने दो।
बिंदास रिश्ते में दरार डालती,
तुम्हारी आज की छुअन का भेद है कुछ गहरा
ये आज तुम्हारी नज़रें मुझे
बदली बदली सी क्यूँ लग रही है?
देखो
है मुझे बहुत अज़ीज़ ये रिश्ता हम दोनों का
तुम मेरे दोस्त हो
दोस्त ही रहो
प्यारे से रिश्ते को
कोई नाम न दो
रिस कर बिगाड़ना नहीं
दुनिया से छुपाना नहीं
कसकर थामे चलना है
हाथ ज़िन्दगी भर
बंदिशो के दायरे में बँधना नहीं
ये क्या कर रहे हो ?
न...न..मत करो प्रोपोज़, प्लीज उठो
मैं ना कहकर दिल नहीं दुखा सकती तुम्हारा
हर मजा हो जायेगा किरकिरा
जो लुत्फ़ लेकर एक दूसरे की बातों में उठाते है
रुठने मनाने में नहीं गुज़ारना
है गुमान मुझे तुम पर की
तुम मेरे सब कुछ हो
इतने रिश्तों को खो कर मुझे सिर्फ़
एक प्रेयसी बनकर रहना नहीं ,
सिवा दोस्त के और रिश्ते संग चलना नहीं
जब जब मुझे गोद की जरुरत महसूस हुई
तुम माँ बने
सलाहकार बने पापा की गरज सारे
भाई, बहन का प्यार पाया पग-पग तुमसे
पर अब मत देखो उस निगाहों से मुझे
की डगमगा जाये अहसास सारे
कहने को कहते होंगे सब की
एक लड़का और एक लड़की कभी दोस्त नहीं हो सकते,
चलो ना क्यों ना एक मिशाल हम कायम करें॥