एहसास : प्यार का
एहसास : प्यार का
तुम्ही झंकार हो हृदय की मेरे, तुम्ही हो मन की अश्रुधार
तुमसे ही चंचलता है मुझमें, तुमसे ही मेरा सारा श्रृंगार।
प्रिय तुम्हारी एक उदासी, कर देती है मुझे निराश
जो तुम होते हो सहचर मेरे, प्राणों को मिलता विश्वास।
मैं अग्नि श्रृंखला हो ज्यूँ, तुम होते सदा दीप-मशाल
मैं फिरती आवेशित नदी, तुम जैसे कोई बाँध विशाल
मैं बेबाक, बेपरवाह, बाग़ी हूँ शायद, तुम भूमि से धीर-अचल
मैं ज़िद्दी ज्यूँ बच्चा कोई, तुम मे माँ सा हृदय विशाल।
तुमसे ही सारी नाराज़गी, पर प्यार तुम्ही से है बाकी
अपेक्षाओं की सारी कलियाँ, तुमसे ही है रंग पाती
तुमसे मैं हूँ, तुम्हारे लिए हूँ, तुम पर बस मैं टिक जाती
थोड़ा समझ लो मुझको बस इतना ही कह पाती।
मुझमें नही है धीरज तुमसा, थोड़ी शायद है चंचलता
पर मुझसे ज्यादा कौन है साथ, कौन प्रेम है कर सकता
साथ जब "कुहू" को ले ही लिया है, कर लिया है प्रेम मुझे
मुझे स्वीकारो गुण दोषों से बन जाओ मस्तिष्क तार मेरे।