तुझे भूले नहीं है हम
तुझे भूले नहीं है हम
तुझे भूले नहीं है हम
भूले भी तो कैसे
मै थी एक आजाद परिंदा
तूने मेरे पर कतर डाले।
नहीं भूल सकती वो रात
जब तूने मेरी अस्मत की थी तार-तार
नहीं भूल सकती वो बलत्कार का दंश।
मेरे जिस्म ही नहीं
रूह भी हुई थी तार-तार
मेरे हर आँसू में है तू
मेरे हर जख्म में है तू।
भला हो उस फरिश्ते का
जिसने मेरी बेरंग जिंदगी में रंग भरे
मुझे जीने का नया उत्साह दिया
मेरे पंखो को नयी उड़ान दी।
पर तुझे भूले नहीं है हम
मत आना मेरे सामने,तेरी खैर नहीं।।