वो मेरा पहला प्यार हो गया
वो मेरा पहला प्यार हो गया
कहीं किसी अनजानी राह पर,
एक अनजान शख्स से रूबरू हुए,
वो अनजान रहा कुछ पल ही फिर,
न जाने कब वो प्यार हो गया!
मुझे खबर नहीं थी, सब्र नहीं था,
प्यार का मुझ पर असर नहीं था,
पत्थर भी एक धड़कता अंदर,
दिल वो मेरा मगर नहीं था!
मैं तो रात का एक तारा था,
टूटा-फूटा बेचारा था,
मैं तट का एक किनारा था,
फूटी किस्मत का मारा था!
वो आयी और मैं बह चला,
पत्थर से दिल में ढह चला,
न जाने कैसे क्या हुआ,
मैं उसको अपना कह चला!
मैं तो रहा अबूझा शख्स,
खुद में ही एक अधूरा शख्स,
वो घर हो गया दिल में यूँ,
जीवन का मेरे सार हो गया,
वो मेरा पहला प्यार हो गया!