दौर
दौर
जीवन में अकसर
कुछ लोग ऐसे समय में,
मिलते हैं जब आप,
जीवन के बहुत नाजुक,
दौर में होते हैं।
आप बस,
पकड़ लेते है,
सहारे की तरह उनको
पूरी उम्मीदें उनसे,
ऐसे जोड़ लेते हैं मानो,
वे उस वक्त,
सिर्फ आपके लिए,
आपके जीवन में आये हों
जबकि ऐसा नहीं होता।
मुद्दत बाद जहन
असल बात समझता है
समय का वो दौर ही
गलत होता है,
और यूँ गलत हो जाते है,
चन्द लोग
और उनसे जुड़ी
आपकी उम्मीदें भी।
लेकिन
टूटे कांच सी,
मन में गड़ी उम्मीदें
और उनकी चुभन
फिर कभी आपको किसी से
जुड़ने ही नहीं देती,
और जीवन का
वह दौर
समय के साथ
चलता चला जाता है।