अभी बाक़ी है
अभी बाक़ी है
ज़ंग लगे आइने में,
देखो अभिमान अभी भी बाक़ी है,
यादों में लाखों चेहरे बसे,
पर पहचान अभी भी बाक़ी है।
तू ज़िंदा ही क्यों जल रहा,
जाना श्मशान अभी भी बाक़ी है,
क्यूँ रुकता है तू चलता जा,
आगे उड़ान अभी भी बाक़ी है।
तूने तन धोया, मन न धोया,
अरे स्नान अभी भी बाक़ी है,
दिया जलाया मंदिर में,
पर अजान अभी भी बाक़ी है।
क़ुर्बानी तो तूने दे डाली,
पर अनुषठान अभी भी बाक़ी है
व्रत तो रखे नवरात्रे में,
पर रमज़ान अभी भी बाक़ी है।
कन्या पूजन तो बहुत किया,
नारी सम्मान अभी भी बाक़ी है,
खुदा को बहुत ही याद किया,
अंत: आह्वान अभी भी बाक़ी है।
कलयुग में तो हम रहते हैं,
मगर इंसान अभी भी बाक़ी है,
अरे अपनों को तो सब देते हैं,
पर अभिदान अभी भी बाक़ी है।
स्थापित हैं ईश्वर मंदिर में,
मन में आधान अभी भी बाक़ी है,
पोथी पढ़-पढ़ तू ज्ञानी हुआ,
जीवन संज्ञान अभी भी बाक़ी है।।