फरियाद
फरियाद
नहीं आता मुझे
शायर की तरह शायरी लिखना
मैं सिर्फ अपनी फरियाद लिख रहा हूँ।
ख़ुदा से एक सवाल कर रहा हूँ
दर्द की दवा देना,
क्या यह एहसान है।
किसी को खुशियाँ देना,
क्या यह एहसान है।
नहीं, तो तुम दर्द दे कर
एहसान क्यों बटोर रहे हो।
दर्द ,दवा और जिन्दगी सब तुम्हारी है
तो बताओ संसार में क्या हमारा है।
कहते हो हमारा-तुम्हारा कुछ नहीं है
सब अपना है।
तो बताओ तुम खुशियाँ क्यों लुटते हो
लुटते वो है जो अपना तुम्हारा करते हैं।
तुम तो सब अपना करते हो।
सुना है,
ख़ुदा हर गुस्ताखी की सजा देता है
लिखना तो मै बहुत कुछ चाहता हूँ।
पर डर है कोई गुस्ताखी ना हो जाए।।