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bhagawati vyas

Romance

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bhagawati vyas

Romance

खिले खिले मकरंद

खिले खिले मकरंद

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मन डूबा है रंग बसंती,

उमगा उमगा प्यार !

यादें झूला दे जाती हैं,

ले जाती उस पार !


दस्तक दे मधुमास खड़ा है,

ऋतु ने खोले बंद !

मतवाली है चली बयारें,

खिले खिले मकरंद !

बीते दिवस नजर के सम्मुख,

चित्र खिंचे हर बार !


पाग पलाश केसरी बांधे,

सरसों चूनर पीत!

फाग ऋतु संग रंग खेलता,

नित्य बढ़ाए प्रीत !

सुमन गंध के गठबंधन से,

झंकृत मन के तार !


हुआ मिलन जो कभी हमारा,

है मुकाम की ओर !

नाजुक इस रिश्ते को बांधा,

लिए नेह की डोर !

नाव तुम्हारे हाथों सौंपी,

थामो अब पतवार !


पकड़ कलाई ले चलना अब,

राह बिछे हों फूल !

साथ निभाए रखना तुम तो,

पा जाएंगे कूल !

नयन झुकें तब लाज समेटे,

बांहे दे गलहार !


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